कोई दीवाना है


रेत पर रेत के घर बनाता है
कोई दीवाना है
आंधियों में चिराग जलाता है
कोई दीवाना है

गला रेतते जो गले मिलके
अहमियत रिश्तों की उन्हें समझाता है
कोई दीवाना है

जिन्हें मुय्यसर नहीं दो वक्त की रोटी
किस्से उन्हें चांद के सुनाता है
कोई दीवाना है

जिन्हें गमे-दुनिया से कुछ नहीं लेना देना
वक्ते जरूरत वो उन्हें बुलाता है
कोई दीवाना है

जो सिक्कों की खनक में हो चुके गुम
प्यार के मायने उन्हें बताता है
कोई दीवाना है

हर एक के आंसूओं की फ़िक्र उसको
फ़ाहे रखता है.. जख्म खाता है
कोई दीवाना है

रेत पर रेत के घर बनाता है
कोई दीवाना है
आंधियों में चिराग जलाता है
कोई दीवाना है

2 comments:

बालकिशन said...

सही कहा सर आपने.
इतनी अच्छाइयों वाला आदमी तो दीवाना ही कहलायेगा.
बेहतरीन रचना.

रंजू भाटिया said...

जो सिक्कों की खनक में हो चुके गुम
प्यार के मायने उन्हें बताता है
कोई दीवाना है

बहुत खूब जी ..