एक ख्याल
बेरंग जिन्दगी से तो खूने जिगर बेहतर है
लिख कोई दास्तां गर तूने यह हादसा देखा
कई जख्म दिये अपनों ने, इस जमाने ने
न लेकिन कातिल कोई हमने आपसा देखा
2 comments:
राज भाटिय़ा
December 18, 2010 at 12:00 AM
वाह जी दोनो शेर बहुत खुब, धन्यवाद
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निर्मला कपिला
December 18, 2010 at 10:22 AM
बहुत खूब। बधाई।
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वाह जी दोनो शेर बहुत खुब, धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत खूब। बधाई।
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