ख्वाब कहां बंट पाते हैं
खुशियां चाहे सांझी हों
अभी अभी मिले हो मुझसे
मुझे अभी कहां पहचाना है
धीर धरो थोडा रुक जाओ
खुशियां चाहे सांझी हों
पर दर्द छुपाये जाते हैं
नाम केवल मेरा जाना है
हाथों से बस हाथ मिले हैंमुझे अभी कहां पहचाना है
धीर धरो थोडा रुक जाओ
वक्त को मरहम हो जाने दो
अभी नहीं भूला कल मुझे अपना
कल को थोडा ढल जाने दो
हो पाया तो बांटेंगे हम तुम
कल वो अपना, ख्वाब वो अपने
बहा पीडा आंखों की सारी
भूल अभी तक देखे सारे सपने
खूबसूरती से मन के भावों को लिखा है ..सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDelete्खूबसूरत भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteसुंदर रचना .....हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ
ReplyDeletedil ko chhune wali bate hai
ReplyDeletemarm sparshi bate aur bhav se bhari abhivyakti
ReplyDeletebahut sundar ....shabda shabda arthpurna
ReplyDeletebahut sundar ....shabda shabda arthpurna
ReplyDeleteसुंदर रचना...
ReplyDeletebehad bhavpurna
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