न रस्मो-रिवाज न बाजार की बातें कीजे
हैं फ़ुर्सत में तो बस प्यार की बातें कीजे
वक्त रुकता नहीं किसी मानो-मिन्नत से
ये गुजर जायेगा न टकरार की बातें कीजे
बात छोटी है फ़ायदा क्या इसे बढाने से
चिलमन से निकल दीदार की बातें कीजे
बोझ बढता है दिल की दिल में छुपाने से
आज मौका है तो इजहार की बातें कीजे
देहरी लांघते ही वास्ता पडे इस जमाने से
खिडकियां खोलिये न दीवार की बातें कीजे
मोहिन्दर कुमार
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (15-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 87-स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल
ReplyDeletekhubsurat gajal....
ReplyDeleteअच्छी गज़ल जनाब !
ReplyDelete“ तेरा एहसान हैं बाबा !{Attitude of Gratitude}"
“प्रेम ...प्रेम ...प्रेम बस प्रेम रह जाता हैं "
very nice.
ReplyDeletenice heart touch
ReplyDeleteVery Interesting Ghajals Shared. Thank You
ReplyDeleteप्यार की बात