इक ख्याल
मैँने हुस्न वालोँ की जिद देखी है
मैँने दिवानेपन की हद भी देखी है
रहेगी किताबोँ मेँ फसाना बन कर
जीस्ते-सफर मेँ वो गर्द भी देखी है
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