यहाँ मेरे लिये - गजल

क्या नहीँ है आज यहाँ मेरे लिये
कोई दुआ है फली यहाँ मेरे लिये

हजार दुश्मन  तो कोई बात नहीँ
तुम तो मेरे हो ना यहाँ मेरे लिये

बस्ती--ख्वाब से एक बार गुजरा
ठहरना लाजिम अब यहाँ मेरे लिये

महफिल मेँ बस इक तेरे आने से
सब कुछ नया-नया यहाँ मेरे लिये

मुझसे नजरेँ फेरे लेने से पहले ही 
बताना क्या सजा है यहाँ मेरे लिये

No comments:

Post a Comment