बसंती सपने न बुनो


बसंती सपने न बुनो
फूल कांटे वाले न चुनो
प्यार में दर्द के सिवा कुछ भी नही
तुम बात मेरी सुनो
डूबती कश्ती ने
बडी हसरत से किनारा देखा
पुरज़ोर लहरों को
मुड के दोबारा देखा
वो तो तूफान था
जिस ने चुपके से लगाया
उस को किनारे
बेखबर पार उतरने वाला
हंस के मौज़ों ने
दूर से ये नज़ारा देखा

मोहिन्दर

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