मेरे जीवन के सरगम में
इतना साथ निभा देना
जब मेरी सांस टूट रही हो
गिरता सुर उठा लेना
तकदीर अगर बनती है
हाथों की लकीरों से
जब भी मुशकिल आन पडे
हाथ से हाथ मिला लेना
बूंद बूंद से प्यास बुझा कर
सागर भरना ठीक नही
जीना चाहे कुछ पल हो
उन पलों में जीवन भर देना
किसको समय है जो बांटे
सुनकर दर्द किसी बेगाने का
दर्द उठे तो वेकल मन में
एक ठहाका भर लेना
मौसम चाहे कोई भी हो
सीधा रिश्ता दिल से है
मन के बारूदी फितनों को बना पटाखा
अपनी रात दिवाली कर लेना
इतना साथ निभा देना
जब मेरी सांस टूट रही हो
गिरता सुर उठा लेना
तकदीर अगर बनती है
हाथों की लकीरों से
जब भी मुशकिल आन पडे
हाथ से हाथ मिला लेना
बूंद बूंद से प्यास बुझा कर
सागर भरना ठीक नही
जीना चाहे कुछ पल हो
उन पलों में जीवन भर देना
किसको समय है जो बांटे
सुनकर दर्द किसी बेगाने का
दर्द उठे तो वेकल मन में
एक ठहाका भर लेना
मौसम चाहे कोई भी हो
सीधा रिश्ता दिल से है
मन के बारूदी फितनों को बना पटाखा
अपनी रात दिवाली कर लेना
2 comments:
मन के उठते ज्वार को अपनी मुट्ठी में कस लेना
पिसल न जाए यह किसी माधुर्य को देख कर्…
आपकी रचना बहुत सहज और भावना संपन्न होती है…पढ़कर अच्छा लगता है>>>
किसको समय है जो बांटे
सुनकर दर्द किसी बेगाने का
दर्द उठे तो वेकल मन में
एक ठहाका भर लेना
dil ki baat kuch yun jubaan par aa gayi ..mere dil ke dard ko meri muskaan mein chipa gayi !!
bahut khoob ..
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