रहे बेकरार जिसके लिये
उस प्यार से भी क्या मिला
रुस्वाईयां, तन्हाईयां
और आंसूओं का सिलसिला
रहे बेकरार जिसके लिये.........
पलट पलट के आयीं भी
फ़िर से बहारें बेखता
सारे चमन में थी रौनकें
पर दिल का फ़ूल ना खिला
रहे बेकरार जिसके लिये........
राहे-सफ़र में आ गये
हम आखरी मुकाम तक
बिछ्डा वो एक बार जो
फ़िर कभी हमसे ना मिला
रहे बेकरार जिसके लिये......
हालात के तूफ़ां में कहीं
बह गये जजबात भी
खामोशियों का दौर है
ना आस अब, ना गिला
रहे बेकरार जिसके लिये
उस प्यार से भी क्या मिला
रुस्वाईयां, तन्हाईयां
और आंसूओं का सिलसिला
रहे बेकरार जिसके लिये...
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