एक ऊँट के बच्चे ने अपनी माँ से कहा, "माँ, माँ, मैं आप से एक बात पूछूं ?"
ऊँटनी बोली, " पूछ बेटे, तुझे क्या बात परेशान कर रही है ? "
ऊँटनी बोली, " पूछ बेटे, तुझे क्या बात परेशान कर रही है ? "
बच्चा बोला, "मां हमारे इतने बडे बडे कूबड किस लिये हैं ?"
ऊँटनी बोली, "रेगिस्तान में पानी की कमी होती है न, इसलिये भगवान ने हमें पानी एकत्रित करने के लिये कूबड दिये हैं."
और माँ हमारे इतने लम्बे-लम्बे पैर और बडे-बडे खुर किस लिये हैं ?
इनसे हम रेत में तेजी से भाग सकते हैं बेटा, ऊँटनी बोली.
अच्छा, और हमारी इतनी बडी-बडी पलकें किस लिये हैं ? ऊँट के बच्चे ने अपनी माँ से पूछा.
रेतीली आँधी के दौरान लम्बी-लम्बी पलकें रेत को आँखों में जाने से रोकती हैं बेटा, ऊँटनी बोली.
इस पर ऊँट के बच्चे ने कुछ सोच कर अपनी माँ से कहा, "फिर हम चिडियाघर में क्या कर रहे हैं ?"
"क्षमता, ज्ञान और योग्यता का प्रयोग केवल उचित स्थान पर ही हो पाता है."
अभी आप कहाँ पर हैं ?
4 comments:
बहुत बढ़िया भाई मजा आ गया धन्यवाद
बहुत खूब मोहिंदर जी.. बिल्कुल सही लेबल लिखा है आपने इसका "दार्शनिक लेख" | दार्शनिक लेख ही है यह !
बहुत खूब मोहिंदर जी.. बिल्कुल सही लेबल लिखा है आपने इसका "दार्शनिक लेख" | दार्शनिक लेख ही है यह !
बहुत खूब मोहिंदर जी.. बिल्कुल सही लेबल लिखा है आपने इसका "दार्शनिक लेख" | दार्शनिक लेख ही है यह !
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