क्या जरूरी है वयां हो हाले दिल लबों से
हर नम आंख खुद इक दास्तान कहती है
ऐसा नहीं कि वो बेखबर है मेरी हालत से
बेबजह झिझक कोई सामने खडी रहती है
राहे जीस्त में पीछे छूटते जाते है पडाव
हर एक पल से बस याद जुडी रहती है
मुहब्बत में कब मांगा मैने उनसे हिसाब
सफ़ाई उनकी अदाओं में छुपी रहती है
मैं चुप भी रहूं तो वादी-ए-सवा कह देगी
वफ़ा मेरी इक खुश्बू छुप कर कहां रहती है
7 comments:
बहुत ख़ूब...उम्दा...
बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं.
dil ko chu gai hai bhaaw
बेहद खूबसूरत रचना दिल को छू जाने वाली बधाई हो आपको
बहुत बढ़िया ..
मुहब्बत में कब मांगा मैने उनसे हिसाब
सफ़ाई उनकी अदाओं में छुपी रहती है
यह बहुत पसंद आया मुझे
" behtreen, ek se badh kr ek bhav"
Regards
बहुत सुंदर शेर लिखे हैं. बधाई.
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