क्या से क्या हो गया - वक्त की मेहरबानी से


हमेशा से अपुन के ये हाल नहीं थे
न समझना कि पहले बाल नहीं थे
लहराती थी  सिर पर  काली घटायें
चांद पे अपनी कोई सवाल नहीं थे

1980
 
2008

चमका है मुक्कदर लोग हैं कहते
सुनकर हम अक्सर चुप हैं रहते
तेली करिशमा है या रहमते-शेम्पू
धुलाई में हैं बाल खुलकर बहते

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