आंसू की जुबां वो कब समझे हैं
दिल का वयां वो कब समझे हैं
वादों का यकीं अपनी फ़ितरत
बदलेगा समां वो कब समझे हैं
शायद दिल से मजबूर हैं हम
दुनिया के चलन से दूर हैं हम
हम राह चले दुनिया से अलग
दिल की जलन वो कब समझे हैं
बुलन्दी का परचम लहराती हुई
जो भीड खडी है आज साथ तेरे
वो वहम है इक दिन मिटने वाला
देगा जो जख्म वो कब समझे हैं
14 comments:
शायद ...बहुत ही सुन्दर पंक्तियां ..बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
एक नजर यहां वटवृक्ष पर भी ...
http://urvija.parikalpnaa.com/2010/12/blog-post_29.html
सच कहा कौन समझा है यहाँ आंसुओ की जुबाँ……………बहुत सुन्दर भाव्।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (30/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
वादों का यकीन अपनी फितरत
बदलेगा समां वो कब समझे हैं ...
वाकई !
bahut hi sundar rachna....
दर्पण से परिचय
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
शायद आंसू की जुबां कोई नहीं समझता..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
शानदार प्रस्तुति बधाई।
गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
sunder abhivyakti mohinder ji.
aap shayad hame bhool gaye lekin hame aap yaad hai faridabad me kaavy goshthi me hindi diwas par mile the.
haapy new year.
अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
नया वर्ष आप के ओर आप के परिवार के लिये सुख मय हो ओर देश भर मे खुशियां के कर, सुख ले कर आये, मेरी शुभकामनाऎं आप सब के संग हे!! मेरा यह नये साल का उपहार आप सब के लिये हे..
http://blogparivaar.blogspot.com/
सुंदर रचना ....आंसू की जुबां कों हर कोई नही समझ सकता ..........
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