दीप जलेगा हर घर जिस दिन
हर चौके में होगा जब दलहन
हर सर पर होगा जब छत का साया
और पैबंद न होगा पहरावे में
सच में, दिवाली तो तभी मनेगी
साक्षरता तक होगी जब पहुंच सभी की
बाल मजदूरी जब होगी भूत का किस्सा
मिलेगा जब सबको अपना हिस्सा
चौराहों पर जब न भूख देखेगी
सच में, दिवाली तो तभी मनेगी
स्वार्थ का रावण जब जल जायेगा
धर्म न जब सडकों पर आयेगा
साझी होगी जब पीड सभी की
इकजुट होती जब भीड सभी की
जब हर सूरदास दिशा पायेगा
सच मे, दिवाली तो तभी मनेगी.
हर चौके में होगा जब दलहन
हर सर पर होगा जब छत का साया
और पैबंद न होगा पहरावे में
सच में, दिवाली तो तभी मनेगी
साक्षरता तक होगी जब पहुंच सभी की
बाल मजदूरी जब होगी भूत का किस्सा
मिलेगा जब सबको अपना हिस्सा
चौराहों पर जब न भूख देखेगी
सच में, दिवाली तो तभी मनेगी
स्वार्थ का रावण जब जल जायेगा
धर्म न जब सडकों पर आयेगा
साझी होगी जब पीड सभी की
इकजुट होती जब भीड सभी की
जब हर सूरदास दिशा पायेगा
सच मे, दिवाली तो तभी मनेगी.
काश ऐसा ही हो तभी दिवाली मानेगी सुंदर रचना ,बधाई
ReplyDeleteकाश ऐसा वक्त आए ... बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबिल्कुल सटीक चित्रण किया है।
ReplyDeleteसार्थक सोच ,सुंदर रचना ।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें दीपावली की
bhaut khubsurat.... happy diwali....
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाये............
ReplyDeleteप्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये ..मेरी और से भी बधाहिया सवीकार कीजिये