दिवाली तो तभी मनेगी

दीप जलेगा हर घर जिस दिन
हर चौके में होगा जब दलहन
हर सर पर होगा जब छत का साया
और पैबंद न होगा पहरावे में
सच में, दिवाली तो तभी मनेगी

साक्षरता तक होगी जब पहुंच सभी की
बाल मजदूरी जब होगी भूत का किस्सा
मिलेगा जब सबको अपना हिस्सा
चौराहों पर जब न भूख देखेगी
सच में, दिवाली तो तभी मनेगी

स्वार्थ का रावण जब जल जायेगा
धर्म न जब सडकों पर आयेगा
साझी होगी जब पीड सभी की
इकजुट होती जब भीड सभी की
जब हर सूरदास दिशा पायेगा
सच मे, दिवाली तो तभी मनेगी.

6 comments:

  1. काश ऐसा ही हो तभी दिवाली मानेगी सुंदर रचना ,बधाई

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  2. काश ऐसा वक्त आए ... बहुत सुन्दर रचना

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  3. बिल्कुल सटीक चित्रण किया है।

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  4. सार्थक सोच ,सुंदर रचना ।
    हार्दिक शुभकामनायें दीपावली की

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  5. bhaut khubsurat.... happy diwali....

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