ऐ बादल

ऐ बादल

क्या किसी विरहन के ह्र्दय का ताप है तू

या किसी प्रेमी के असुअन की भाप है तू

ऐ बादल

क्या नीर से प्रीत है तेरी

या बूंदों से बैर है तेरा

किस चातक की प्यास है तू

ऐ बादल

मरू हैं तेरी बाट जोहते

तू बरसता किसी ताल पर

कब जानेगा किस किस की आस है तू

ऐ बादल

उमढ घुमड कर नभ पर छा जाता है

फ़िर बिन बरसे ही छितरा जाता है

क्या किसी जोगी के मन का आलाप है तू

ऐ बादल

10 comments:

  1. ऐ बादल
    उमढ घुमड कर नभ पर छा जाता है

    फ़िर बिन बरसे ही छितरा जाता है

    क्या किसी जोगी के मन का आलाप है तू

    खूबसूरत रचना ..अच्छी अभिव्यक्ति

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  2. मरू हैं तेरी बाट जोहते

    तू बरसता किसी ताल पर

    कब जानेगा किस किस की आस है तू

    वाह बेहद उम्दा भावाव्यक्ति।

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  3. बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने किस राह से बचना है , किस छत को भिगोना है !
    सुन्दर !

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  4. बहुत ही बढि़या ...

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  5. बादल किसी विरहण के ह्रदय का ताप है बहुत सही लिखा है बधाई |
    आशा

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  6. बहुत सुन्दर भीगी-भीगी-सी भावाभिव्यक्ति....

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  7. सुंदर अभिव्यकित...

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  8. mohi ji
    is abhivyakti ke liye aapko puruskar milna chahiy
    madhu tripathi
    http://kavyachitra.blogspot.com

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