हर तरफ बिखरी है तेरी खुश्बू
मगर यह तो बता कहाँ है तू
यक वयक गर आ गये सामने
दिल पर रहेगा किस तरह काबू
वहशतेँ मेरी हद से बढने लगी
ज्यूँ ज्यूँ बढती गई यह आरजू
किस्सा बादलोँ पर हो जैसे लिखा
अँजाम बन कर बरसेँ न ये आँसू
तेरी यादोँ से घिरा होता हूँ तब
जब कोई नही होता आजू बाजू
मोहिंदर कुमार
3 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन इंसान का दिमाग,सही वक़्त,सही काम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत ज्ञान वर्धक आपकी यह रचना है, मैं स्वास्थ्य से संबंधित कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो यहां पर click Health knowledge in hindi करें और इसे अधिक से अधिक लोग के पास share करें ताकि यह रचना अधिक से अधिक लोग पढ़ सकें और लाभ प्राप्त कर सके।
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