कई झूठे अफसाने हैँ फिजाओँ मेँ
किससे बोलेँ और क्या कहा जाये
जब भी कभी बोलने की सोची है
दिल का मश्वरा था चुप रहा जाये
दर्द रह रह कर दिल मेँ उठता है
खुद सह लो जब तलक सहा जाये
वक्त की धार ही सबकी किस्मत है
साथ बह लो इसके गर बहा जाये
सभी काफिलोँ की अपनी मँजिल है
जिसकी मँजिल नहीँ वो कहाँ जाये
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