तू तारिकियों में भी काम चलाना सीख ले
कब
रास्ते में बहारें लेने लगें तेरा इम्तहां
तू खिजां को अब अपना बनाना सीख ले
मंजिल
पर पहुँच कर ये राहें लौटती नहीं
तू भी ख्वाबों से दिल को लगाना सीख ले
सच यही है
तेरे हाथ में कभी कुछ न था
ये बात अपने दिल को समझाना सीख ले
देर तक न रहा यहाँ
किसी का भी ज़िक्र
वादे अल्फ़ाज़ों के फ़साने भूलाना सीख ले
मोहिंदर कुमार
देर तक न रहा यहाँ किसी का भी ज़िक्र
ReplyDeleteवादे अल्फ़ाज़ों के फ़साने भूलाना सीख ले
बढ़िया सीख देती ग़ज़ल ...
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या
ReplyDeleteअच्छा है जो तुम वादे अल्फाजों के फसाने भुलाना सीख लो
बेहद उम्दा गजल..
Hello sir
ReplyDeleteI am the daughter of your old friend Mamta Gupta from Jaipur, Do you remember her?
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