खुशियों की माला




सदा हंसते रहो
क्योंकि छोटे से जीवन के
लम्बे सुनसान रास्तों में
खुशियों के पल कम हैं
भारीभरकम गम हैं
अगर जिन्दगी में
हर गम पर कहकहा लगा पाओगे
आंसुओं को खुशी के लिये बचा पाओगे
रिश्तों की भीड में कौन अपना कौन पराया है
भुला कर सबको गले लगाओगे
राहें महक जायेंगी
गहन अंधकार छंट जायेगा
सुप्रभात होगा
हर दिन नया दिन
हर रात नयी रात होगी
गलानी का बोध
न मन को सालेगा
कुंठा न पनपेगी
अच्छाई का बीज
देर से जड पकडता है
किन्तु एक दिन विशाल वृक्ष बन
सरपरस्त बनता है
स्वंय को ऐसा ढालो
हर पल में से
हंसी के फूल चुन चुन कर
खुशियों की माला बना लो

मोहिन्दर

1 comment:

रंजू भाटिया said...

हंसी के फूल चुन चुन कर
खुशियों की माला बना लो

sahi kya pata fri yah pal laut ke aaye ya na aaye ....ek aur khunsuart rachna padne ko mili aapki

shukriya

ranju