अंकुश


मनोभावना पर
मिथ्या मान्यताओं के
अंकुश रख
हम क्यों
संवेदनशील हो गये
लक्ष्य विजय के पथ पर
मान मर्यादा, कर्तव्य निष्ठा के
विघ्न खडे कर
हम क्यों
सुशील हो गये
चिरपरिचित जीवन पथ पर
दूर तक निकल आये
शंका, आशंका
मन में लिये
दूर्दर्शी बन
हम क्यों
मील का पत्थर हो गये

मोहिन्दर

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