लडका / लडकी

जिन्दगी भर इन्तजार कर लूंगा
खुद को गुल से खार कर लूंगा
मिली तुम तो ठीक है वरना
मौत को गले का हार कर लूंगा



जिन्दगी कम है इन्तजार के लिये
गुल काफी नही प्यार के लिये
मेरा खयाल छोड दे वरना
गरदन नही बचेगी, हार के लिये

3 comments:

महेन्द्र मिश्र said...

bhai badi khataranaak rachana hai par padhakar anand aa gaya .abhivyakti joradaar lagi ek leek se hatakar. badhai.

आलोक साहिल said...

ओये कमाल है सर ji,बेहतरीन conversation पेश किया.मजा आ गया.
आलोक सिंह "साहिल"

Udan Tashtari said...

वाह!! ये मोहिन्दर बाबू का नया अंदाज-पसंद आया भई!!