रुसवाई


जो अश्क बहे मेरी आंखों से
वो दर्दे बयान हैं मेरी चोटों का
लाख छिपाना चाहा इन्हे पी करके
मगर साथ ना मिला इन होठों का
(चेहरे पर मुस्कराहट ना आयी)
मेरे आंख के पानी ने
मुझे ओर भी दुनिया में रुसवा किया
दर्द तो क्या कम होना था
मेरे ज़ख्मों के चर्चे आम हुये

मोहिन्दर

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