आत्म-निरीक्षण


किसी की बगिया उजाडने से पहले
एक फूल खिला कर देख
मन में प्रसन्नता का स्त्रोत झरेगा
कभी जख्मों पर मरहम लगा कर देख

चेहरे चाहे अलग दिखते हों
सब की पीडा एक सी है
चमडी के रंग पर ना जा
खून का रंग मिला कर देख

कैसी सरहद, कौन सी सरहद
अपने ही घर को रौंद रहा है
दामन बहुत से तार किये है
एक पैबन्द लगा कर देख

कौन अपनों को बांट रहा है
दुश्मन और बेगानों में
किसने है यह विष फैलाया
साफ साफ नज़र आयेगा
अलगाव का चश्मा हटा कर देख

1 comment:

रंजू भाटिया said...

कैसी सरहद, कौन सी सरहद
अपने ही घर को रौंद रहा है
दामन बहुत से तार किये है
एक पैबन्द लगा कर देख

bahut sahi ....par in sab baato ko samjhega kaun ...yahan sab apne apne swarath ke liye jeete hain ..
accha likha hai aapne ..