परियोजना

किसी भी समस्या को समाधान तक पहुंचाने के लिये कुछ चरणों से गुजरना पडता है I इन चरणों को हमारा समाज व हमारे नेता किस तरह से लेते हैं इसका एक चित्र खिचने का मेरा प्रयास इस प्रकार से है I

समस्या की अनुभूति

चुनाव जब जब पास आते हैं
नेता
देश की समस्यों की लिस्ट बनाने में जुट जाते हैं
मंहगायी, बेरोजगारी, शिक्षा उन्हें याद आने लगती हैं
वादों के बिगुल बजाने लगते है

मुल्यांकन

अपनी उपलब्धियों एंव दूसरी पार्टी की कमियों का गुणगान होता है
पार्टी भाषण मंच विरोधी पार्टी कर्ताओं के शिकार का मचान होता है

कारण

अकारण हुए कारण बताये जाते है
जनता जानती है वोटर किस तरह सताये जाते हैं

आंकडे

आंकडे सुझाते हैं कि जितना पैसा चुनाव व सरकार बनाने
व उसकी सुरक्षा एंव चलाने में लगता है
यदि वही धन उत्थान के कार्यों में लगाया जाता
हमारे देश का नाम संसार के उन्नत देशों में आता

निवारण की और कदम

गरीबी व बेरोजगारी को
देश के पिछडेपन का सबसे बडा कारण बता कर
छोटी छोटी दुकाने सील कर
बडे बडे माल बना कर
और अधिक भुखमरी फैला रहे हैं
गरीबी नही
गरीबों के उन्मूलन का कार्यक्रम बना रहे हैं

निवारण का सत्यापन

निवारण हुआ कि नही
इस का निर्णायक कौन है
मंहगायी, बेरोज़गारी दिनो दिन बढती जाती है
जनसंख्या काबू में नही आती है
नेता देश में क्या हो रहा है
विदेश यात्रा कर पता लगा रहे हैं
कर्मठ गधे हैं
काम के बोझ से लदे हैं
राजनीति के गलियारों में शोर है
जनता मौन है

निवारण के दूरगामी प्रभाव

जैसे चल रहा है
चलता जायेगा
चुनाव कौन सा कुम्भ का मेला है
पांच वर्ष में फिर लौट आयेगा
जनता में बडी शक्ति है
सरकार पलट जायेगी
अभी यह पार्टी निचोड रही थी
अब दूसरी पार्टी खायेगी

निवारण एक अनावर्त प्रयास

जब तक अवचेतन जनता में
चेतना नही आयेगी
तब तक निरन्तर यूहीं
बाड खेत को खायेगी
बाड खेत को खायेगी

7 comments:

Dr Prabhat Tandon said...

भारत के उज्जवल भविष्य का सही खाका खींचा है आपने :)। हिन्दी चिट्ठाकरी जगत मे आपका स्वागत है।

रंजू भाटिया said...

bilkul sahi

जैसे चल रहा है
चलता जायेगा
चुनाव कौन सा कुम्भ का मेला है
पांच वर्ष में फिर लौट आयेगा
जनता में बडी शक्ति है
सरकार पलट जायेगी
अभी यह पार्टी निचोड रही थी
अब दूसरी पार्टी खायेगी
sab kuch keh diya aapne in lines mein ....kuch nahi badlega shayad yahan ....

Dr.Bhawna Kunwar said...

नेताओं की छवि को आपने बहुत अच्छी तरह प्रस्तुत किया है। बधाई स्वीकारें।

Udan Tashtari said...

वाह भई, हमने काफी रचनायें पढ़ीं आपकी. और अब पढ़ रहें हैं. बाकी आगे पढ़ते रहेंगे. टिप्पणी यहाँ कर दे रहा हूँ, इसे विगत सारी रचनाओं का आंकलन माना जाये, यह विनम्र निवेदन है. बहुत पसंद किया आपका अपनी बात रखने का अंदाज. बिल्कुल अनूठा है. युवा रोष तो साफ झलकता है जो आपकी उम्र देखते हुये (फोटो देखकर अंदाज लगाया है) स्वभाविक भी है मगर तारीफ इस बात की है, रोष में भी काव्य एवं भाषा संतुलन पूर्णरुपेण बना हुआ है, इसके लिये आपको साधुवाद. आज आप जैसे युवा एवं संवेदनशील रचनाकारों की कलम ही देश को प्रगती की राह पर ले जायेगी. बहुत शुभकामनायें. उन्नत लेखन जारी रखें. बधाई स्विकार करें इस परिवार में सम्मलित होने की. हमारे लायक कोई भी सेवा की आवश्यक्ता हो, तुरंत ईमेल करें, हमें हाजिर पायेंगे. आपसे निवेदन है हमारे सामूहिक प्रयास "तरकश" पर भी नजर करें और उसके लिये भी आप लिखें. स्वागत होगा आपका वहाँ अथिति कलम में.
http://www.tarakash.com/new2/

आगे भी आपकी रचनाओं का इंतजार रहेगा.

Sagar Chand Nahar said...

मोहिन्दर जी हिन्दी चिट्ठा जगत में स्वागत है आपका। बहुत सुन्दर कवितायें लगी आपकी। प्रस्तुत कविता की अन्तिम पंक्तियाँ बहुत पसन्द आयी।
जब तक अवचेतन जनता में
चेतना नही आयेगी
तब तक निरन्तर यूहीं
बाड खेत को खायेगी

॥दस्तक॥

डॅा. व्योम said...

मोहिन्दर जी बहुत सुन्दर ब्लाग है। सामग्री तो पठनीय है ही आपने चित्रों का बहुत सुन्दर चयन किया है।
-डॉ॰ व्योम
www.hindisahitya.blogspot.com
www.hindigagan.com

Manisha Bhatra said...

Mohinder Ji!
aap ki likhi kavita bahut hi sundar hai,prastut panktiya bahut hi pasad aaye
परियोजना
जब तक अवचेतन जनता में
चेतना नही आयेगी
तब तक निरन्तर यूहीं
बाड खेत को खायेगी
बाड खेत को खायेगी

आत्म-निरीक्षण
किसी की बगिया उजाडने से पहले
एक फूल खिला कर देख
मन में प्रसन्नता का स्त्रोत झरेगा
कभी जख्मों पर मरहम लगा कर देख
कैसी सरहद, कौन सी सरहद
अपने ही घर को रौंद रहा है
दामन बहुत से तार किये है
एक पैबन्द लगा कर देख

netao ki chavi aur desh ke halato ko sahi darshaya hai
aage bhi aapki padhna chaahungi kaafi achch likha hai aapne