(सीन मुन्ना भाई और सरकिट (एक हिन्दू एक मुस्लमान) दोनो सरहद (पाकिस्तान बार्डर) पर तैनात हैं और गोलाबारी चल रही है)
मुन्नाभाई: सरकिट, इधर को आजा यार
सरकिट: मै आया भाई, बोले तो आज दिवाली लग रही है
मुन्नाभाई: अरे आज दिवाली और होली दोनो है
सरकिट: वो कैसे भाई
मुन्नाभाई: अरे सिर्फ एक फर्क है, रंग लाल ही लाल है
सरकिट: ठीक बोला भाई
मुन्नाभाई: सरकिट एक बात बता
सरकिट: पूछो न भाई
मुन्नाभाई: तुमको ऐसा नही लगता कि तुम अपने लोगों पर गोली चला रहे हो
सरकिट: तुम मजाक कर रेला है भाई
मुन्नाभाई: नही सरकिट अपुन सीरियसली पूछ रेला है
सरकिट: भाई, अपना वो है जो मेरी मां को अपनी मां समझे, मेरी हर खुशी, हर दुख में शरीक हो... और वो तो
सब मेरे साथ इस तरफ है..चाहे हिन्दू चाहे मुस्लमान
मुन्नाभाई: तुम बिल्कुल ठीक बोला सरकिट, अपुन का भेजा सरकेला है
सरकिट : लो,एक और गया... धांय धांय धांय
मुन्नाभाई: गजब का निशाना है तेरा सरकिट
4 comments:
bahuth acha koshish hain. meri dil ko chulia.
yeh koshish jaari rakhna.
badai ho!!
आपकी कोशिश बहुत बढ़िया है....बधाई
bahut hi dil ko chune wali koshish hai aapki..
मोहिन्दर जी,
मैं कोशिश नहीं कहूँगा इसको विस्तार देने की आवश्यक्ता है…पूर्णता; थोड़ी झलकी!!
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