बात दिल की कह दी, आप ने अच्छा किया
जलते जलते रह गया, झूठी आस का दिया
रात भर खिलती चान्दनी के ख्बाबोँ मेँ डूबा रहा
जागते ही वक्त ने धूप मेँ बिस्तर हमारा कर दिया
क्या खबर चुभ ही जाती इतनी खुशी इन आँखोँ मेँ
अच्छा हुआ तुमने आँसुओँ से रिश्ता हमारा कर दिया
यूँही बेखुदी मेँ न जाने कब तक भटकते फिरते हम
अच्छा हुआ दिल की कश्ती ने साहिल से गुजारा कर लिया
खुदबखुद ढक लिये थे जो भी मैने वो तो सारे भर गये
बिसरी हुई यादोँ के नश्तर ने इक जख्म दोबारा कर दिया
6 comments:
बहुत ख़ूब लिखते हैं जी आप,..
क्या खबर चुभ ही जाती इतनी खुशी इन आँखोँ मेँ
अच्छा हुआ तुमने आँसुओँ से रिश्ता हमारा कर दिया
बहुत ख़ूब...
क्या ख़बर थी फिर से ले आयगी किस्मत तेरे दर पर हमे
हमने तो अपनी राह को अब तेरी मंज़िल कर दिया!!
ranju
भाई मोहिन्दरजी
जज़्बात बहुत खूब हैं. पहले शेर में और बाकी के चार शेरों में काफ़िया ?????
बहुत ही सुन्दर लिखा है।
रात भर खिलती चान्दनी के ख्बाबोँ मेँ डूबा रहा
जागते ही वक्त ने धूप मेँ बिस्तर हमारा कर दिया
क्या खबर चुभ ही जाती इतनी खुशी इन आँखोँ मेँ
अच्छा हुआ तुमने आँसुओँ से रिश्ता हमारा कर दिया
आप ने जिस तरह इन पंक्तियों मे अपने भावो को संजोया है वह काबिले तारीफ हैं।बधाई।
बढ़िया है. वैसे आपने इसे गजल तो कहा नहीं है...फिर भी कोशिश की शक्ल कुछ वैसी ही है तो राकेश भाई के प्रश्न पर ध्यान दिया जाये.
"रात भर खिलती चान्दनी के ख्बाबोँ मेँ डूबा रहा
जागते ही वक्त ने धूप मेँ बिस्तर हमारा कर दिया"
bahut badiya
Bhut Achchee Ghazal....
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