अभी दूर तक नहीं आयें हैं

कभी इक घडी की दीद को
किया पहरों का इन्तजार था
थे फ़ासले बहुत मगर
फ़िर भी दिलों में प्यार था
कहो तो रहें इन्तजार में
चाहो तो राहों को जोड लो

अभी दूर तक नहीं आयें हैं
चाहो तो कदमों को मोड लो

मंजिल तुझी को मान कर
कुछ सोचा नहीं कभी गौर से
कितने हंसी मिले राहों में
दिल मिला नही किसी और से
मानो तो तुम्हें अपना कहें
या फ़िर सारे रिश्ते तोड दो

अभी दूर तक नहीं आयें हैं
चाहो तो कदमों को मोड लो

अब दिल में है ये आरजू
हो सफ़र खत्म और घर बसे
रहे प्यार की इज्जत बनी
इस रिश्ते पर न जग हंसे
है सफ़र गर राह में छोडना
मुझे मेरे हाल पर छोड दो

अभी दूर तक नहीं आये हैं
चाहो तो कदमों को मोड लो
गलफत में किये वादे समझ
वादे सारे अपने ये तोड दो

9 comments:

रंजू भाटिया said...

बहुत ही सुंदर लिखा है मोहिंदेर जी अपने .....

कौन किसी के साथ चल सका है उमर भर
यहाँहर कोई सिर्फ़ दो पल को मिल पाया है
छोड़ देता है साया भी अपना साथ यहाँ
जब भी दिखा कोई दर्द का साया है !!

Uttam said...

Bahut Khoobsoorat hai..
U give liberty to betray..
In such a way that she will be forced not to..

Wonderful..

Udan Tashtari said...

बढ़िया है, भाई!! आपके ऑडियो भी सुनें, अच्छे लगे.

Divine India said...

Another gr8 wrk from you...
bahut aacha laga kya baat kahi hai...hridaye ke us pakchh ko chuaa hai...jo chahata hai to hai par achhe ho ke karan chod bhi deta hai...
sorry for not writing in hindi...bcoz of sme compu prob...

Anonymous said...

Subhan Allah
Mohinder Ji

Bahut Hee Touchy Likha Hai Apne.
Specially These Lines are Amazing : -
अब दिल में है ये आरजू
हो सफ़र खत्म और घर बसे
रहे प्यार की इज्जत बनी
इस रिश्ते पर न जग हंसे
है सफ़र गर राह में छोडना
मुझे मेरे हाल पर छोड दो


Gustakhi Maff Kariyega, yeh Nacheez Khud Ko Rokk Naa Payee......

पल भर की खुशी और फिर ग़म का साया
ख्वाब में उनका आना और लौट जाना

दीद की खुशी और मलाल हिज़ाब का
यूं उनका नज़र उठाना और झुका जाना

वस्ल का अहसास और दर्द हिज़्र का
उनका हाथ मिलाना और चला जाना

राकेश खंडेलवाल said...

मंजिल तुझी को मान कर
कुछ सोचा नहीं कभी गौर से

बहुत खूब

Monika (Manya) said...

waakai behad sundar likha h aapne... "Jindagi bhar kahaan saath deta hai koi.. thodi door saath chalo.. bahut lamba hai safar.. thodi door saath chalo.."

कंचन सिंह चौहान said...

मंजिल तुझी को मान कर
कुछ सोचा नहीं कभी गौर से
कितने हंसी मिले राहों में
दिल मिला नही किसी और से
मानो तो तुम्हें अपना कहें
या फ़िर सारे रिश्ते तोड दो

अभी दूर तक नहीं आयें हैं
चाहो तो कदमों को मोड लो
बहुत बहुत बहुत सुंदर

kanchan said...

dil tod diya ab chita bhi jala den aab kafan bhi jala dena agar koi puche kya rog kya tha to nagar jhuka apni mohbbat bata dena,,