आजादी से क्या बदला है





केवल अंग्रेज कर गये कूच यहां से
और इस धरती पर क्या बदला है
झूठ का अभी तक है बोलबाला
सच अब भी लंगडा कर चलता है

पहले पराये खून चूस रहे थे
अब अपने बोटियां नोचते हैं
स्वतंत्र है अब कुछ भी करने को
अब तो सब बस से सोचते हैं

स्वतंत्रता का अर्थ उन्हें पता था
जो मर गये सीने पर खा गोली को
कौन सुझाये अब सही राह कौन सी
निजहित सोचती इस भीड बडबोली को

क्या पाया आजादी से दिहाडी-मजदूरो ने
और क्या मिला छोटे किसान विचारे को
समर्थ के मन मे निज महलों का सपना
कौन थामेगा इन बेबस गिरती दीवारों को

स्वतंत्रता के जशन अब यूं मनाये जाते हैं
झाड पोछ कर कुछ बुत और तस्वीरो को
श्रद्धा व प्रण की सूरत में स्वेतपोशों के हाथों
कुछ मालाये और फ़ूल भर चढाये जाते हैं

जनता के सेवक को जनता से आशंका डर की
अपनी तो अपनी मांगे सुरक्षा पूरे घर भर की
जनता का पैसा, कमाई गाढे खून पसीने की
नेता के लिये इक राह ऐशो-आराम से जीने की

सच्चा संकल्प खो गया, दीन ईमान खो गया
अब शिक्षा मन्दिर तक, मुनाफ़े की दुकान हो गया
सेवा प्रण लेकर भी डाक्टर बैठे हैं हडतालों पर
मरीज बेचारा खर्च और पीडा से हलकान हो गया

देश में आधे भूखे नंगे, धर्म के नाम पर होते नित दंगे
अपना मत सिद्ध करने को बसें और रेल जलाई जाती है
यदि गलती से भी धर्म पर कोई लिखदे अपने मन का मतवा
धर्म के ठेकेदार जारी कर देते है फ़ौरन गर्दन कलम का फ़तवा

मुझको ऐसा लगता है, इक गरम दल बनाना चाहिये
चुन चुन कर भ्रष्ट लोगों को उलटा लटकाना चाहिये
खाल खींच लो चाबुक मार मार कर सभी मुनाफ़ाखोरो की
बिगुल बजा कर ऐलान कर दो खैर नही अब चोरों की

इस झंडे के तले वही खडा हो जिस के मन में श्रद्दा, करूणा,पीडा है
दूर रहे जिसे चाह हो किसी ताज की, यह कर्तव्य निष्ठा का बीडा है
सच में स्वतंत्र होना है तो प्रतिज्ञा यह सबको मन में पालनी होगी
इस देश के मुर्दा कर्ण धारों में, फ़िर से जान नयी इक डालनी होगी

4 comments:

रंजू भाटिया said...

केवल अंग्रेज कर गये कूच यहां से
और इस धरती पर क्या बदला है
झूठ का अभी तक है बोलबाला
सच अब भी लंगडा कर चलता है

सच और सही लिखा है ज़ी

स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई।

Udan Tashtari said...

सत्य वचन!!

फिर भी माईने बहुत है.

स्वतंत्रता दिवस की ६० वीं वर्षगाँठ पर बहुत बधाई एवं अभिनन्दन.

ghughutibasuti said...

मित्र ,
'मुझको ऐसा लगता है, इक गरम दल बनाना चाहिये
चुन चुन कर भ्रष्ट लोगों को उलटा लटकाना चाहिये
खाल खींच लो चाबुक मार मार कर सभी मुनाफ़ाखोरो की
बिगुल बजा कर ऐलान कर दो खैर नही अब चोरों की'

ऐसा कहना बहुत सरल होता है । याद रखिये सबसे पहले खाल उन्हीं की खिचेगी जिनकी खाल आप बचाना चाहते हैं । सोवियत संघ भूल गए ?
याद रखिये सत्ता व बल का नशा बहुत जल्दी व गहरा चढ़ता है । जिसके भी हाथ में यह बिना लगाम के देंगे वह चाहे वह मैं या आप हों उसका दुरुपयोग करेंगे ।
घुघूती बासूती

Uttam said...

इस देश के मुर्दा कर्ण धारों में, फ़िर से जान नयी इक डालनी होगी
Very very Nice..
Happy Independence Day