अम्बा का संताप





अम्बा काशी नरेश की तीन पुत्रियों में से एक थी जो मन ही मन मार्तिकावत के राजा साल्वाराज को अपना पति मान चुकी थी. देवव्रत (भीष्म)ने जो कि राजा शान्तनु और गँगा के पुत्र थे, तीनों बहनों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्यँवर में से ही अपने सौतेले भाई विचित्रवीर्य की पत्नी बनाने के लिये अपहरण कर लिया. जब भीष्म को पता चला कि अम्बा साल्वाराज से प्रेम करती है तो उन्होंने उसे स्वतन्त्र कर दिया परन्तु युद्ध में भीष्म से हुयी हार के कारण बौखलाये हुये साल्वाराज ने अम्बा को स्वीकार करने से इसलिए इन्कार कर दिया कि वो किसी के द्वारा जीती जा चुकी है. उधर विचित्रवीर्य ने यह कह कर अम्बा को त्याग दिया कि वह उस स्त्री को पत्नी के रूप मेँ स्वीकार नही कर सकता जो किसी और से प्रेम करती हो. अन्त मेँ अम्बा ने भीष्म से उसे पत्नी रूप में स्वीकारने के लिये कहा परन्तु भीष्म ने अपने व्रत के कारण ऐसा करने में असमर्थता जताई. ठुकरायी हुई अपमान से पीडित अम्बा ने भीष्म वध का व्रत ले कर वन की राह ली. आत्म-मन्थन करते हुये अम्बा ने अग्नि में प्रवेश कर अपनी ईहलीला समाप्त कर ली और कालान्तर में राजा द्रुपद के यहां शिखण्डिन के रूप में जन्म ले कर अपना भीष्म वध का व्रत पूर्ण किया.


यौवन की देहरी पर
सत्रह सावन का सौपान पीये
रत्नों, फ़ूलों से सज कर
निज स्वपनों का श्रृँगार किये
बीच स्य़ँवर जिसका हरण हुआ
हाँ मैं वही अपहरित अम्बा हूँ
तिरस्कृत हुई जो प्रेमी से
आखेटक से अपमानित भी
प्रक़ृति के उपहास का पात्र बनी
हाँ मैं वही सुकोमल कन्या हूँ
हाँ मैं वही परित्यागित अम्बा हूँ
इतिहास रचा जिसने अपने दम पर
इतिहास ने जिसको बिसराया
हाँ मैं वही शिखण्डिन हूँ
हाँ मैं वही उपेक्षित अम्बा हूँ
इक जन्म अग्नि में स्वँय की आहुति दी
दूजे में जलसमाधि ली
तीजे में फरसे से दो खण्ड हुयी
हाँ मैँ वही खण्डित अम्बा हूँ
सह्स्त्रों वर्षोँ से तर्पण की प्यासी
इक अन्जुली भर श्रद्धान्जलि की
क्या किसी ने मेरा श्राद्ध किया
हाँ मैं वही युग-विस्मृत अम्बा हूँ
यदि मैं न होती तो क्या कोई
रोक पाता गति भीष्म की ?
क्या सबल था गाँडीव अर्जुन का
या इस योग्य गदा बाहुबली भीम की ?
क्या होता कृष्ण के सारे प्रयत्नों का
क्या सत्य पताका फिर लहराती ?
क्या रणवीरों का रक्त भार
पाँडव कुल कभी चुका पाता ?
क्या युद्धिष्टिर के कोमल उदगारों
ने यह युद्ध जीत लिया होता ?
जिसने पाया न कोई प्रतिउत्तर
हाँ मैं वही अनुतरित अम्बा हूँ

1 comment:

Unknown said...

बहुत सुन्दर।