एक झील मौत की और अग्रसर

बहुत से लोगों द्वारा यह कहा गया है कि प्रसिद्ध सागर हुसैन झील को देखना एक अत्यन्त शान्तिवर्धक व सुखद अहसास है I मानव निर्मित इस झील का इतिहास वैभव शाली और प्रसिद्ध शहर हैदराबाद के सामानार्थ है I हैदराबाद शहर को मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में मुसी नदी के किनारे पर बसाया था I हुसैन सागर झील के किनारे पर टैंक बंद का निर्माण हैदराबाद शहर और चारमिनार के निर्माण से काफ़ी पहले किया गया था I हुसैन सागर और टैंक बंद जो करीब ढाई किलोमीटर तक फ़ैला है जुंडवा शहरों हैदराबाद और सिकन्दराबाद को जोडता है I

सागर हुसैन झील के मध्य स्थापित बुध की प्रतिमा





इस झील की खुदाई तीन वर्ष, सात महीने और उन्नीस दिन में पूर्ण हुई थी I इस झील का नाम हजरत हुसैन शाह वली जो कि सुलतान इब्राहिम कुतुब शाह-2 के दामाद थे, के नाम पर रखा गया I इस झील का निर्माण 1562 ए.डी में हुआ था I यह झील 8 किलोमीटर का फ़ैलाव लिये हुए है I यह झील हैदराबाद शहर के निर्माण से ही पानी का मुख्य स्त्रोत रही है I समय के साथ साथ हैदराबाद शहर के शहरीकरण के कारण इस झील का आयतन 1664 हैक्टेयर से घट कर 400 हैक्टेयर रह गया है साथ ही साथ प्रदूषण ने इस झील को अपनी चपेट में ले लिया है I कभी मछलियों और अन्य जल प्राणियों की विहार स्थली आज जीवन रहित है I

व्यवसायीकरण के चलते और भ्रमण को बढावा देने के नाम पर जो गतिविधियां चल रही हैं उससे इस झील का भविष्य खतरे में पड गया है I सडकों के निर्माण ने झील के पानी की आवाजाही में रुकावट डाल दी है I झील के किनारे पर "ईट स्ट्रीट" का निर्माण इसके भविष्य के लिये एक और खतरा है I झील के मध्य प्राकृतिक चट्टानों का जो फ़ैलाव था और जहां पहले प्रवासी पक्षी अपना डेरा जमाते थे उस जगह पर एक पार्क का निर्माण प्रस्तावित है जिसमें मनोरंजन और खाने की सुविधा होगी I हाई कोर्ट के इस फ़ैसले के बाबजूद कि झील के किनारे पर किसी प्रकार का स्थाई निर्माण न किया जाये.. इस प्रकार के निर्माण अभी भी किये जा रहे हैं I

सरकारी विभागों के बीच तालमेल का आभाव, जनता में अपनी ऐतेहासिक संपदाओं के संरक्षण के प्रति उदासीनता... धीरे धीरे इस झील को लील लेगी I

2 comments:

शोभा said...

मोहिन्दर जी
दुर्लभ जानकारी देने के लिए आभार।

दिनेशराय द्विवेदी said...

भारतीय नगरों की सफाई की जो व्यवस्था है उन में एक झील का जीवित रह पाना संभव ही नहीं है। सब धीमी मौत मर रही हैं। पता नहीं कब हम उस व्यवस्था की ओर आगे बढ़ेंगे।
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रक्षा-बंधन का भाव है, "वसुधैव कुटुम्बकम्!"
इस की ओर बढ़ें...
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकानाएँ!