सांई करुं क्या तुझ को अर्पण
क्या जग में है मेरा अपना
मैने सब कुछ पाया तुझ से
तूने पूरा किया हर सपना
सांई करूं क्या तुझ को अर्पण
क्या जग में है मेरा अपना
मेरी राहों का हर इक कोना
तेरे नाम से हो गया रोशन
जब भी किसी गम ने घेरा
सर पर हाथ धरा है अपना
सांई करूं क्या तुझ को अर्पण
क्या जग में है मेरा अपना
मैं कहां हूं बस तू ही तू है
इस बस्ती, इस हस्ती में
मैं था काठ का एक खिलौना
तूने हर सांस दिया है अपना
साईं करूं क्या तुझ को अर्पण
क्या जग में है मेरा अपना
मैने सब कुछ पाया तुझ से
तूने पूरा किया हर सपना
2 comments:
सच सब ईश्वर का ही है!
सांई करूं क्या तुझ को अर्पण
क्या जग में है मेरा अपना
सही कहा आपने ..अच्छी लगी यह
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