प्यार शारीरिक आकर्षण और वासना से बहुत उपर है..कुछ चित्र हैं जो मुझे मेल द्वारा एक मित्र से मिले हैं. यह चित्र देख कर इस व्यक्ति को दिल से सलाम करने का मन कर रहा है... आप भी देखिये ... वेलेन्टाईन डे के पक्ष और विपक्ष में बोलने वालों की राय बदल जायेगी
आपने एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है। किन्तु इस चित्र से वैलेनटाईन का सर्मथन नही जान पड़ता है। जहॉं तक विरोध का प्रश्न है तो बात मानिये प्रेम का विरोध नही है। बल्कि प्रेम की आड़ में भारतीयो प्रेम का मजाक उड़ाने और उस पर व्यापार का विरोध हो रहा है।
जो चित्र आपने प्रस्तुत किया है वह तो कुछ भी नही है, भारतीय प्रेम की मिशाल का कोई सानी नही है। किन्तु कहा जाता है न घर की मुर्गी दाल बराबर, वही स्थिति हमारे समाने है। अपनी चीजो को हम स्वयं ही महत्व नही देते है।
कार्ड, फूल और कैन्डिल नाईट डिनर प्रेम का प्रतीक नही हो सकते है। प्रेम सर्मपण का प्रतीक है, जो चित्र आपने प्रस्तुत किया, ठीक वैसा ही सर्मपण। उस व्यक्ति और महिला के लिये हर दिन वैलेन्टाईन डे होगा सिर्फ 14 फरवरी ही नही।
मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ. मुझे ऐसे लोगो पर भारी तरस आता है, जो सिर्फ़ विदेशियों के दिशा निर्देश को ही परम सत्य मानते है. १४ फरवरी के पहले तो जैसे भारत में प्रेम था ही नही, की हम साल भर टकटकी लगाये १४ फरवरी का इंतज़ार करते रहे अपने प्रेम का इज़हार करने के लिए?? १४ फरवरी के अधिकतर समर्थको को सही मायनो में इसका मतलब भी नही पता होगा. यकीन न हो तो आप ख़ुद ही अपने आस पास के १४ फरवरी समर्थको से पूछ लीजिये?? ज़्यादा से ज़्यादा यह कहेंगे, की आज "संत वैलेंटाइन" जी का जन्मदिवस है.........कौन थे, क्यों थे, ये दिन क्यों मना रहे है जब यह सब पूछेंगे, तब बगलें झांकते नज़र आते है. मैं इस चित्र और इसमे दर्शाए गए प्रेम की प्रशंशा करता हूँ. पर आज १४ फरवरी के नाम पर इसी किसम के प्रेम का मजाक उड़ाया जा रहा है. आज १४ फरवरी का मतलब ही यही है की १ कार्ड खरीदो, i love you बोलो, कहीं बहार खाना खाओ, और हम बिस्तर हो जाओ........ वाह रे प्रेम!!
मैं कहना चाहूंगा प्रेम न तो भारतीय होता है न ही पश्चिमी या विदेशी... प्रेम तो प्रेम है और कौन इसे समझ पाता है यही अधिक महत्वपूर्ण है.
वेलेन्टाईन डे का विरोध करने वाले प्यार का विरोध न करें.. परन्तु जो गलत हो रहा है उसका विरोध करें.. प्यार करने वाले पब में नहीं मिलेगें तो फ़िर किसी छत.. किसी बगीचे.. किसी घर में मिलेंगे.. और सब लोगों को अपनी हैसीयत के अनुसार अपनी मर्यादा का पता है.. दूसरे उसे इसका अहसास दिलायें क्या जरूरी है. किसी भूखे को उठा कर कोई उसे खाना खिलाने तो नहीं ले जाता फ़िर प्यार करने वाले को क्यों रोकता है.
मेरा कहना है विरोध आसान है परन्तु समाधान कठिन... हमें समाधान के बारे में सोचना है न कि डंडा हाथ में ले कर सकड पर उतरना है :) यह कटाक्ष नहीं.. विचारों का आदान प्रदान है
12 comments:
इन चित्रों का कोई सानी नहीं, प्रेम और साथ का भी नहीं।
प्रेम दिवस का विरोध करने वाले वो लोमड़ी हैं जिनको अंगूर नहीं मिले और इनकी तरफ किसी को ध्यान नहीं देना चाहिए!
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गुलाबी कोंपलें
यही है सच्चा प्यार, इन चित्रों और इस प्यार का कोई जवाब नही, धन्यवाद मोहिन्दर इसे सामने लाने के लिये
आपने एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है। किन्तु इस चित्र से वैलेनटाईन का सर्मथन नही जान पड़ता है। जहॉं तक विरोध का प्रश्न है तो बात मानिये प्रेम का विरोध नही है। बल्कि प्रेम की आड़ में भारतीयो प्रेम का मजाक उड़ाने और उस पर व्यापार का विरोध हो रहा है।
जो चित्र आपने प्रस्तुत किया है वह तो कुछ भी नही है, भारतीय प्रेम की मिशाल का कोई सानी नही है। किन्तु कहा जाता है न घर की मुर्गी दाल बराबर, वही स्थिति हमारे समाने है। अपनी चीजो को हम स्वयं ही महत्व नही देते है।
कार्ड, फूल और कैन्डिल नाईट डिनर प्रेम का प्रतीक नही हो सकते है। प्रेम सर्मपण का प्रतीक है, जो चित्र आपने प्रस्तुत किया, ठीक वैसा ही सर्मपण। उस व्यक्ति और महिला के लिये हर दिन वैलेन्टाईन डे होगा सिर्फ 14 फरवरी ही नही।
सच, यही प्रीत है सच्चे समर्पण भाव से. नमन इस प्रेमीयुगल को.
ankhen nam ho gayi,pyar itana khubsurat hota hai,sach sachha saath hi pyar hai,halat kaise bhi ho,ye jodi hamesha yuhi bani rahe.
सही और सच्चा प्यार यही है ..अनमोल चित्र हैं यह
प्रेम और त्याग की अनोखी मीसाल......
Regards
वाकई........ सच्चे प्रेम की पराकाष्ठा... दोनों प्रेमियों को नमन..
@ महाशक्ति
मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ. मुझे ऐसे लोगो पर भारी तरस आता है, जो सिर्फ़ विदेशियों के दिशा निर्देश को ही परम सत्य मानते है. १४ फरवरी के पहले तो जैसे भारत में प्रेम था ही नही, की हम साल भर टकटकी लगाये १४ फरवरी का इंतज़ार करते रहे अपने प्रेम का इज़हार करने के लिए??
१४ फरवरी के अधिकतर समर्थको को सही मायनो में इसका मतलब भी नही पता होगा. यकीन न हो तो आप ख़ुद ही अपने आस पास के १४ फरवरी समर्थको से पूछ लीजिये?? ज़्यादा से ज़्यादा यह कहेंगे, की आज "संत वैलेंटाइन" जी का जन्मदिवस है.........कौन थे, क्यों थे, ये दिन क्यों मना रहे है जब यह सब पूछेंगे, तब बगलें झांकते नज़र आते है.
मैं इस चित्र और इसमे दर्शाए गए प्रेम की प्रशंशा करता हूँ. पर आज १४ फरवरी के नाम पर इसी किसम के प्रेम का मजाक उड़ाया जा रहा है. आज १४ फरवरी का मतलब ही यही है की १ कार्ड खरीदो, i love you बोलो, कहीं बहार खाना खाओ, और हम बिस्तर हो जाओ........ वाह रे प्रेम!!
इसे कहते हैं सच्चा प्यार। आभार
महाशक्ति जी एंव आदित्य जी,
आपकी टिप्पणी के लिये आभार.
मैं कहना चाहूंगा
प्रेम न तो भारतीय होता है न ही पश्चिमी या विदेशी... प्रेम तो प्रेम है और कौन इसे समझ पाता है यही अधिक महत्वपूर्ण है.
वेलेन्टाईन डे का विरोध करने वाले प्यार का विरोध न करें.. परन्तु जो गलत हो रहा है उसका विरोध करें.. प्यार करने वाले पब में नहीं मिलेगें तो फ़िर किसी छत.. किसी बगीचे.. किसी घर में मिलेंगे.. और सब लोगों को अपनी हैसीयत के अनुसार अपनी मर्यादा का पता है.. दूसरे उसे इसका अहसास दिलायें क्या जरूरी है. किसी भूखे को उठा कर कोई उसे खाना खिलाने तो नहीं ले जाता फ़िर प्यार करने वाले को क्यों रोकता है.
मेरा कहना है विरोध आसान है परन्तु समाधान कठिन... हमें समाधान के बारे में सोचना है न कि डंडा हाथ में ले कर सकड पर उतरना है :)
यह कटाक्ष नहीं.. विचारों का आदान प्रदान है
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