बांबरी है ये दुनिया
हर बात पर
बबाल कर देती
जिसका होता नहीं
कोई भी जबाब
कुछ ऐसे
सवाल कर देती
छोटी छोटी बातें
और बहस लम्बी
मिलते ही कोई
नया मौजूं
कमाल कर देती
पुराने जख्म पर
डाल कर गर्द
आगे बढ जाता
भीड का कारवां
चंद लफ़्ज ओर थोडा
मलाल कर देती
कौन रखता है
पराये दर्द से रिश्ता
ख्वाब चांद का
टके-टके में बिकता
उम्मीदें झूठी जगा
निहाल कर देती
बांबरी है ये दुनिया
हर बात पर
बबाल कर देती
9 comments:
वाह वाह दुनिया तो ऐसी ही रहेगी।
बहुत सही लिखा है आपने । कविता बहुत ही सुन्दर लगी।
बेहतरीन।
बांबरी है ये दुनिया
हर बात पर
बबाल कर देती
सच्ची।
कौन रखता पराये दर्द से रिश्ता...
खरी-खाटी, काबिलेतारीफ रचना पर बधाई.
बांबरी है ये दुनिया
हर बात पर
बबाल कर देती
ऐसी ही रहेगी दुनिया
बेहतरीन कविता है.
तभी तो इसका नाम दुनिया है ..:) सुन्दर लगी आपकी कविता
सत्य शब्द चित्र
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चाँद, बादल और शाम
मन की भावनाओं को आपने बहुत खूबसूरती से शब्दों का आवरण पहना दिया है।
bahut khub.......
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