युग बीते
क्या क्या न बदला
मगर प्यार का रंग न बदला
जब भी फ़ूटा
दिल में नेह का अंकुर
नैनों की भाषा बदली है
पहरों की छांव में
मिलने का ढंग बदला है
मगर प्यार का रंग न बदला
इतिहास साक्षी है
राज मिटे हैं
ताज झुके हैं
दुनिया नें नाता तोडा है
अपनों की आंखे बदली हैं
मगर प्यार का रंग न बदला
प्राण मूल से
चुभन शूल से
किस तरह अलग हो
प्यार बिना जीवन बंजर
बिना धार ज्यूं हो खंजर
मान्यताओं के मौसम बदले हैं
मगर प्यार का रंग न बदला
जहां कहीं है
ऊंच नीच का संगम
और नजर आ जाये
रेशम में टाट का पैबंद
समझो नेह निवास वहीं है
भीतर बाहर के प्रसंग हैं बदले
मगर प्यार का रंग न बदला
युग बीते
क्या क्या न बदला
मगर प्यार का रंग न बदला
3 comments:
वाह क्या बात है। बहुत अच्छा लिखा है।
mohinder ji ;
युग बीते
क्या क्या न बदला
मगर प्यार का रंग न बदला
aapne kitni khoobsurat baat likhi hai , wah ji wah , maza aa gaya , kavita ko padhkar ..
aapko dil se badhai ..
vijay
मैंने भी कुछ लिखा है आप निचे क्लिक कर पढ़ सकते है )
👉 Filmy4app .Com : Free Recharge करें 100%
👉 nature real ytr
👉 gkgsinhindi .com
👉 physicsinhindi - physicsinhindi.com
👉 EarnHari. in
Post a Comment