प्रेम की अनकही परिभाषायें समझ में आयेंगी
जब देह से अनुराग का दीप शमन हो जायेगा
मौन बीते पलों को रोशनी के लिये रख लीजिये
शोर सारा साथ मेरे अंधेरों में दफ़न हो जायेगा
किसने सोचा था कि सारे रंग सफ़ेद हो जायेंगे
लाल जोडा दुल्हन के लिये कफ़न हो जायेगा
बैठ कांटों की सेज पर फ़ूलों का चर्चा कीजिये
कुछ देर के लिये बेचैन मन चमन हो जायेगा
10 comments:
बैठ कांटों की सेज पर फ़ूलों का चर्चा कीजिये
कुछ देर के लिये बेचैन मन चमन हो जायेगा
बहुत आशा वादी बात, बड़ी खूबसूरती से कही है आपने...महेंद्र जी, बधाई...
एक अपना शेर आपको आपकी इन पंक्तियों के आशय से मिलता जुलता सुनाता हूँ:
सोच को अपनी बदल कर देख तू
मन तेरा गर यार मुरझाने लगे
नीरज
बहुत बढ़िया लगा हर शेर .बहुत दिनों बाद आपका लिखा पढ़ा अच्छा लगा
बैठ कांटों की सेज पर फ़ूलों का चर्चा कीजिये
कुछ देर के लिये बेचैन मन चमन हो जायेगा
-जान है इन पंक्तियों मे, बधाई.
बैठ कांटों की सेज पर फ़ूलों का चर्चा कीजिये
कुछ देर के लिये बेचैन मन चमन हो जायेगा
वाह क्या कह दिया इन दो पंक्तियो मे -- बहुत खूब
bahut hi sundar sundar sher aapane kahe hai .....jo dil our man ko urja deta hai ...
har lafz me baat hai.............
baat me karaamaat hai
wah
waah
waaaaaaaaah
kamal hai
kuchh she'r to seedhe kaleje me utarte hain
badhaai !
बहुत ही शानदार और उम्दा शेर लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
बैठ कांटों की सेज पर फ़ूलों का चर्चा कीजिये
कुछ देर के लिये बेचैन मन चमन हो जायेगा
बहुत आशावादी बात, बड़ी खूबसूरती से कही है आपने....
बधाई
इसे शायद यूँ भी समझा जा सकता है कि
दर्द का हद से गुजरना, दवा हो जाना है.
एक बार पुनः बधाई शानदार कविता की प्रस्तुति पर.
बहुत अच्छी ग़ज़ल!
आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। बहुत सुन्दरता पूर्ण ढंग से भावनाओं का सजीव चित्रण... आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी, बधाई स्वीकारें।
आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं। आप मेरे ब्लॉग पर आये और एक उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया दिया…. शुक्रिया.
आशा है आप इसी तरह सदैव स्नेह बनाएं रखेगें….
आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...
Link : www.meripatrika.co.cc
…Ravi Srivastava
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