जा बसे हो दूर तुम
पर याद रखना
वास्ता जिससे तुम्हारा
वो एक घर
इधर भी है
रास्तों को पार कर
पा गये मंजिल को तुम
रह गई सूनी सी जो
वो रह-गुजर
इधर भी है
रिश्ता है आंसुओं का मेरे
याद से तेरी किस कदर
जानते हैं सब मगर
क्या कुछ खबर
उधर भी है
रोकने से भी मेरे
वक्त रुकता ही नहीं
तन्हा कट जाये न उम्र
ये एक डर
इधर भी है
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