क्षणिका
नपी तुली सी
इस जिन्दगी से
कोई क्या मांगे
तुम ही कहो
क्या तुम्हारे हिस्से की खुशी
और मेरे हिस्से का गम
बराबर सा है
2 comments:
Vinay
said...
सच्चा मनोभाव
---
मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव
August 20, 2009 at 12:23 PM
Arshia Ali
said...
Gaagar men saagar.
( Treasurer-S.
T. )
August 20, 2009 at 3:25 PM
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सच्चा मनोभाव
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मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव
Gaagar men saagar.
( Treasurer-S. T. )
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