ढाई अक्षर की टेक

हर खासो आम इस कथन से परिचित है कि "पौथी पढ पढ जग मुआ पंडित भया न कोये,  ढाई आखर प्रेम के पढे सो पंडित होये" पर कितने व्यकित हैं जिन्होंने प्रेम और उसके प्रयायों पर गहराई में जा कर देखा है.

प्रेम के प्रयायवाची शब्द हैं

प्यार, स्नेह,  ईश्क, प्रीत,  और प्रीति .... देखिये प्रयाय तक में ढाई अक्षर ही हैं.

प्रेम को प्रभू का वरदान माना गया है और यह भाग्यवानों के हिस्से ही आता है... तो देखिये इससे जुडे जितने भी शब्द हैं वह भी ढाई अक्षर के ही हैं.

प्रभू......भक्ति, शक्ति, लग्न, ध्यान,  मग्न, कीर्ति, मूर्ति,  मंत्र, ज्योति

और तो और हमारा जो शरीर है वह भी ढाई अक्षर के जोड से ही बना है

अस्थि, मज्जा, मांस, रक्त, त्वचा,  जिव्हा,  स्वाद,  दांत, आंख,  कर्ण, सांस


इस ढाई अक्षर पर एक पुराण लिखा जा सकता है बस जरूरत है तो ऐसे व्यक्ति कि जो इसके प्रयायों को खोजे और लिखता चला जाये.

2 comments:

Udan Tashtari said...

ढाई आखरी पुराण...बढ़िया विचार है.

Buzzintown Blogger said...

Hey very well said. Padhkar accha laga aur atma se aap ko thanks kehte hain. BTW Atma bhi 2.5 akshar ka hai :)

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