आ जाओ न अब तो पिया
रात के अंधियारे में
यादों के गलियारे में
सपनों की मीठी नींद
जब यह जग सोता है
सुलगती चाहतें लिये
रफ़्ता रफ़्ता जलता है
मोम सा गलता है
कोई एक जिया
आ जाओ न
अब तो पिया
3 comments:
शोभा
said...
waah kya baat hai.
October 5, 2010 at 4:32 PM
रंजू भाटिया
said...
बहुत सुन्दर
October 5, 2010 at 7:10 PM
राज भाटिय़ा
said...
जरुर आयेगा जी,धोर्या रखे
October 5, 2010 at 8:50 PM
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waah kya baat hai.
बहुत सुन्दर
जरुर आयेगा जी,धोर्या रखे
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