गुल, परिन्दे और आदमी

Red Roses With Little Red Birds Pictures, Images and Photos
गुलों के लिये यह कुल जहां है
परिन्दों के लिये खुला आसमां है
यह सल्तनतें आदमी बनाता किस लिये है
सिकन्दर का सोचा पूरा होता कहां है


4 comments:

समयचक्र said...

बहुत सुन्दर सटीक प्रस्तुति.... आभार

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर्।

हास्यफुहार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं!