कुछ रिश्ते अनाम होते हैं
होंठों तक आ गये जो
वो "बोल" तो आम होते हैं
"आंख" और "आंसू" भी एक रिश्ता है
यूं तो पानी है
कभी झरता है, कभी रिसता है
जो गिरा... वो मिटा
हुआ माटी
जो रुका आ कर
कोर पर पलकों की
बन मोती
पल भर के लिये
और फ़िर हुआ दफ़न
यादों के उसी गलियारे में
जहां और कई बीते पल
ओढ कर सोये हैं कफ़न"
आंख" और "आंसू" भी एक रिश्ता है
कुछ रिश्ते अनाम होते हैं
होंठों तक आ गये जो
वो "बोल" तो आम होते हैं
2 comments:
बहुत खुब जी, धन्यवाद
बहुत सुन्दर काव्य रचना....बधाई, शुभ कामनाये ...
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