पहले तो दिल में रहे दिल लगाने को कहा
दिल जब हार चुके, छोड के जाने को कहा
गैर बैठे थे जहां हाले दिल सुनाने को कहा
दी हिदायद अश्क अकेले में बहाने को कहा
जख्म दिल पर दिये और छुपाने को कहा
हमने कब कुछ भी इस जमाने को कहा
मिटा कर हस्ती मेरी घर बसाने को कहा
जला कर बस्ती मरहम लगाने को कहा
और एक हम हैं कि
हो सितम और कोई वो भी उठाने को कहा
आखरी सांस तलक तीर चलाने को कहा
3 comments:
बेहद दर्द भरा है। ज़ख्म ऐसे ही रिसते हैं।
very good best of luck...Ashok Bairagi 'AB'...!!!
Bahut umda likha hai bairagi ji likhna jaari rakhiye aur chamak aa jayegi
Post a Comment