बंद पलकें
और जागते सपने
मेरा संसार
=============
छुआ उसने
जाने क्या सोच कर
पुलकित मैं
=============
घडी के कांटे
टिक टिक टिक टिक
बीता जीवन
==============
निगला कौन
अंतिम पहर उस
सोते चांद को
==============
धूप जलाती
या है शीतल करती
वहा पसीना
===============
नम नयन
व होठों पर कंपन
कथित मौन
===============
आ भी जा अब
ताक पर रख सब
वक्त नहीं है
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और जागते सपने
मेरा संसार
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छुआ उसने
जाने क्या सोच कर
पुलकित मैं
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घडी के कांटे
टिक टिक टिक टिक
बीता जीवन
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निगला कौन
अंतिम पहर उस
सोते चांद को
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धूप जलाती
या है शीतल करती
वहा पसीना
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नम नयन
व होठों पर कंपन
कथित मौन
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आ भी जा अब
ताक पर रख सब
वक्त नहीं है
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6 comments:
bahut umda haiku.bahut pasand aaye.
gagar me sagar. bahut bahut sundar prayas. badhai.
बहुत सुन्दर भाव...
मगर कुछ में आपने 5-7-5 का नियम नहीं रखा है जो हायेकु की विशेषता है..
घडी के कांटे
टिक टिक टिक टिक
बीता जीवन
..."टिक टिक करते" ---ऐसा कर दें.
कृपया मेरी टिप्पणी को अन्यथा ना लें..
वाह..बहुत बढि़या
behad sundar likha hai aapne.
very nice.
welcome.
सभी हाइकू लाजवाब ... कुछ ही पंक्तियों में सार लिख दिया ...
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