खोटा सिक्का - कविता

प्यार की राह में
हमने
चाहतें बिछाईं
और तुमने
शतरंज की बिसात
उसके बाद
जीत कर भी
तुम खुश नहीं हुये
कल तलक
गलत फ़हमी
तुम्हारे साथ थी
आज
पछतावा है
न तुम
मेरा बीता कल लौटा पाओगे
न तुम
किसी का आज बन पाओगे
दूसरों को कसौटी पर
परखते परखते
तुम स्वंय
खोटे साबित हो गये हो
और खोटे सिक्के
तिजोरी में नहीं रखे जाते

मोहिन्दर कुमार