क्या सजा देगा मुझे


क्या खबर थी इस तरह  दगा देगा मुझे
पा कर अपनी मँजिलेँ वो भुला देगा मुझे

मैँ उसके लिये रास्ते का दीपक भर रहा
अँधेरोँ के गुजरते ही वो बुझा देगा मुझे

तोड डाला उसी ने मेरी उम्मीदोँ का भ्रम
सोचा जो वक्ते मुसीबत हौँसला देगा मुझे

मेरे हर जख्म का रिश्ता है उस शक्स से
दर्द देने वाला भला क्या दवा देगा मुझे

मिट गये हम चल कर वफा की राह पर
इससे ज्यादा वो और क्या सजा देगा मुझे

मोहिंदर कुमार

2 comments:

prritiy----sneh said...

komal abhivyakti
padhna achha laga

shubhkamnayen

Kuldeep Saini said...

Bahut khoob