चँद ख्याल यूँ ही चलते चलते

साँसोँ के जाल तोड कर चल देना है एक दिन 
किस लिये नफरतेँ दिल मेँ कैद कर के बैठे हो
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नजर मेँ वक्त के साथ धुन्धलके पड जाते हैँ ये नजारे मगर
दिल की दुनिया मेँ यादोँ के सितारे हमेशा चमकते रहते हैँ

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तेरी बेरुखी की वजह की तलाश मेँ हूँ 
जो न मिलेगी उस शय की आस मेँ हूँ 
मेरा मुकाम कहाँ तुम खुद बता दो मुझे
न मैँ तेरे आम मेँ, न मैँ तेरे खास मेँ हूँ

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इक मुहब्बत भरे दिल की सदा क्या होगी 
जब भी निकलेगी यकीनन कोई दुआ होगी
वो जो काम करेगी औरोँ के लिये जहर का 
हम उसे पी लेँगे तो सच मानो वो दवा होगी

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जो खोल पिँजरे पँछी उडाना जानते हैँ 
वही जिन्दगी मेँ गीत गाना जानते हैँ 
बहारेँ तो लौटती हैँ नई फसल के लिये
हम खिजाँ को बहार बनाना जानते हैँ

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कौन चाहता है खुशी से जहर खाना 
कौन चाहता है टूट कर बिखर जाना
मजबूरियाँ ही गला घोँट देती हैँ वर्ना 
सभी चाहतेँ हैँ ख्वाबोँ की ताबीर पाना

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इतने सवाल न कर जिन्दगी मुझसे
जवाब मेरा सुना ना जायेगा तुझसे 
कुछ भी कभी कहाँ माँगा अपने लिये 
रहन रख साँसेँ भी वो खफा हैँ मुझसे

मोहिन्दर कुमार

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