चांद बडा है या बडी है रोटी


चांद बडा है
या बडी है रोटी
लाखों पर भूख चढी है
आदमी चांद पर चढा है
बुनियाद ज़मीन पर है कच्ची
जाने चांद पर क्या धरा है
दुनिया में लाखों भूखे-नंगे
बस कुछ का पेट भरा है
ईद दीवाली किसकी है
जेब भरी जिसकी है
मुसीबतों के जहां हों मेले
वहां मुहब्बत कैसे खेले
धर्म बडा है
या कि इन्सान
भगतों से है भगवान
धर्म के नाम पर लडने वालो
धर्म के नाम पर मरने वालो
रखो धरम को
घर के अन्दर सहेज
धर्म धर्म है
नही दहेज
इसको तुम ना सडकों पर लाओ
मन में पूजो
मन मे ध्याओ

मोहिन्दर

1 comment:

Divine India said...

सुंदर भाव को उचित शब्द मिले हैं…।बधाई!