गुलाब


गुलाब

तुझे पाने की चाह में
हर राह मैं जनाब चला
हज़ारों फूल मिले मगर
तुझ सा ना कोई गुलाब मिला
न जाने कैसे निकल गया
वो जिन्दगी के पन्नों से
पुकारा उसको बहुत मगर
पलट के कुछ न जबाब मिला
इक उम्र तक जो रहा
बन के इन आंखों की रोशनी
टुकडे टुकडे हो कर मुझे
आज वो मेरा ख्वाब मिला
हज़ारों फूल मिले मगर
तुझ सा ना कोई गुलाब मिला

मोहिन्दर

1 comment:

Divine India said...

बहुत फूल मिले तुझसा न गुलाब मिला…शानदार मन:उद्गार…