लाज़िम हैं दूरियां


जिन्दगी मै लाजिम हैं
कभी कभी दूरियां
ना जानिये आप
इन्हें मजबूरियां।

तूफानों में ही नहीं
डूबते सफीने
तंगदिली से भी
नही मिलते नगीने

मरने के बाद मिलेगी जन्नत
गर ये यकीन होता
सूली सभी चढ जाते,
जिन्दगी का भार कोइ न ढोता

होंसले जिगर वालों के भी
हो जाते हैं जब पस्त
काम आती हैं तब
वक्त की वैसाखियां

बिन डूबे कहां
मोतियों के गुलम मिलते हैं
मिट्टी में मिले बीज जब
तब फूल खिलते हैं

जो पल तेरे पास है
वो सब सोना है
खो जाऐं तो रोना
अभी काहे का रोना है

Mohinder..... 8.1.2007

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