रवायत जमाने की


फुरसत तुम्हें कब है
हमसे मिलने मिलाने की
बहाने ही बहाने हैं
कमी क्या है बहानों की

मेरे दिल में तो बस
दुआयें ही दुआयें हैं
दुआ लग जाये तुमको भी
ये दुआ है इस दीवाने की

खबर क्या है चमन को कि
उसमें कितने फूल खिलते है
उसे तो बस फिकर रह्ती है
खिंजा के आने जाने की

किसी का मिलना और बिछुडना तो
सिर्फ वक्ती करिश्में हैं
शिकायत किस से करे कोई
रवायत है जमाने की

3 comments:

Divine India said...

खबर क्या है चमन को कि
उसमें कितने फूल खिलते है
उसे तो बस फिकर रह्ती है
खिंजा के आने जाने की
शब्दों और भावनाओं का सुंदर समंनवय्…यह लाईन बेहद स्पंदित कर गईं…शुक्रिया।

रंजू भाटिया said...

किसी का मिलना और बिछुडना तो सिर्फ वक्ती करिश्में हैं शिकायत किस से करे कोई
रवायत है जमाने की

sahi kaha aapne ...
kaun kab kis se juda ho jaaye chalo aaj ek pal milan ki baat kar le
yah milna bichurana toh rasam hai mohbaat ki
cahlo aaj is ko hum yun hi aada kar le!!

Unknown said...

मेरे दिल में तो बस
दुआयें ही दुआयें हैं
दुआ लग जाये तुमको भी
ये दुआ है इस दीवाने की

yehi dua hai meri, mere dost. likhte raho aagay badho.